बढ़ी आयु के लोगों में सामान्यत: से ५० वर्ष से ऊपर आंखों की रोशनी गिरने का मुख्य कारण मोतियाबिन्द का बनना है। वैसे यह किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है।
मोतियाबिन्द क्या है?
मोतियाबिन्द आंख में उपस्थित प्राकृतिक लेन्स में किसी भी कारण से सफेदी आ जाने से बनता है जिसके कारण दूर की रोशनी धुधली पड़ जाती है। इसके अलावा एक वस्तु की कई वस्तुंएं दिखना, रंगीन गोले दिखना एवं चश्में की पावर जल्दी-२ बदलना, अन्य लक्षण हैं। कुछ रोगियों को रात्रि में कम एवं कुछ को दिन में कम दिखायी पड़ता है। मोतियाबिन्द पकने पर रोशनी बिल्कुल कम हो जाती है एवं उसके फट जाने से काला पानी आ सकता है जिससे रोशनी हमेशा को जा सकती है।
इलाज:-
मोतियाबिन्द का एक मात्र इलाज आपरेशन के द्वारा ही सम्भव है। फेको इमल्सीफिकेशन के द्वारा आपरेशन से मरीज ४-५ दिन में सामान्य हो जाता है। मरीजों के लिए यह अत्यन्त सुविधजनक आपरेशन है। हालांकि इसमें खर्चा कुछ ज्यादा आता है। इस आपरेशन में मात्र ३ एमएस चीरे से मोतियाबिन्द निकालकर एक फोल्डवल लेन्स लगा दिया जाता है। इसमें कोई टांका नहीं आता है मोतियाबिन्द में आपरेशन जितना जल्दी हो खतरा उतना ही कम होता है। पके मोतियाबिन्द मेें खतरा बढ़ जाता है।
रोकथाम-
यह एक प्रकार का डीईग्रेन्टीव रोग है। अत: निन्न बातों पर ध्यान दें।
१. उचित खाना-पान, जिसमें विटामिनयुक्त भोजन अवश्य लें जैसे कि हरी सब्जियां, सलाद, फल, दूध एवं इससे बनी चीजें इत्यादि।
२. किसी भी प्रकार का नशा न करें।
३. नियमित शारीरिक व्यायाम, प्राणयाम, रोग आसन इत्यादि करें। प्रात: काल सैर के लिए जाये।
४. कम तनाव का जीवन जीऐ। अच्छी एवं भरपूर नींद लें।
मोतियाबिन्द क्या है?
मोतियाबिन्द आंख में उपस्थित प्राकृतिक लेन्स में किसी भी कारण से सफेदी आ जाने से बनता है जिसके कारण दूर की रोशनी धुधली पड़ जाती है। इसके अलावा एक वस्तु की कई वस्तुंएं दिखना, रंगीन गोले दिखना एवं चश्में की पावर जल्दी-२ बदलना, अन्य लक्षण हैं। कुछ रोगियों को रात्रि में कम एवं कुछ को दिन में कम दिखायी पड़ता है। मोतियाबिन्द पकने पर रोशनी बिल्कुल कम हो जाती है एवं उसके फट जाने से काला पानी आ सकता है जिससे रोशनी हमेशा को जा सकती है।
इलाज:-
मोतियाबिन्द का एक मात्र इलाज आपरेशन के द्वारा ही सम्भव है। फेको इमल्सीफिकेशन के द्वारा आपरेशन से मरीज ४-५ दिन में सामान्य हो जाता है। मरीजों के लिए यह अत्यन्त सुविधजनक आपरेशन है। हालांकि इसमें खर्चा कुछ ज्यादा आता है। इस आपरेशन में मात्र ३ एमएस चीरे से मोतियाबिन्द निकालकर एक फोल्डवल लेन्स लगा दिया जाता है। इसमें कोई टांका नहीं आता है मोतियाबिन्द में आपरेशन जितना जल्दी हो खतरा उतना ही कम होता है। पके मोतियाबिन्द मेें खतरा बढ़ जाता है।
रोकथाम-
यह एक प्रकार का डीईग्रेन्टीव रोग है। अत: निन्न बातों पर ध्यान दें।
१. उचित खाना-पान, जिसमें विटामिनयुक्त भोजन अवश्य लें जैसे कि हरी सब्जियां, सलाद, फल, दूध एवं इससे बनी चीजें इत्यादि।
२. किसी भी प्रकार का नशा न करें।
३. नियमित शारीरिक व्यायाम, प्राणयाम, रोग आसन इत्यादि करें। प्रात: काल सैर के लिए जाये।
४. कम तनाव का जीवन जीऐ। अच्छी एवं भरपूर नींद लें।