Wednesday 27 April 2016

मोतियाबिन्द

मोतियाबिन्द
बढ़ी आयु के लोगों में सामान्यत: से ५० वर्ष से ऊपर आंखों की रोशनी गिरने का मुख्य कारण मोतियाबिन्द का बनना है। वैसे यह किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है।
मोतियाबिन्द क्या है?
मोतियाबिन्द आंख में उपस्थित प्राकृतिक लेन्स में किसी भी कारण से सफेदी आ जाने से बनता है जिसके कारण दूर की रोशनी धुधली पड़ जाती है। इसके अलावा एक वस्तु की कई वस्तुंएं दिखना, रंगीन गोले दिखना एवं चश्में की पावर जल्दी-२ बदलना, अन्य लक्षण हैं। कुछ रोगियों को रात्रि में कम एवं कुछ को दिन में कम दिखायी पड़ता है।  मोतियाबिन्द पकने पर रोशनी बिल्कुल कम हो जाती है एवं उसके फट जाने से काला पानी आ सकता है जिससे रोशनी हमेशा को जा सकती है।
इलाज:-
मोतियाबिन्द का एक मात्र इलाज आपरेशन के द्वारा ही सम्भव है। फेको इमल्सीफिकेशन के द्वारा आपरेशन से मरीज ४-५ दिन में सामान्य हो जाता है। मरीजों के लिए यह अत्यन्त सुविधजनक आपरेशन है। हालांकि इसमें खर्चा कुछ ज्यादा आता है। इस आपरेशन में मात्र ३ एमएस चीरे से मोतियाबिन्द निकालकर एक फोल्डवल लेन्स लगा दिया जाता है। इसमें कोई टांका नहीं आता है मोतियाबिन्द में आपरेशन जितना जल्दी हो खतरा उतना ही कम होता है। पके मोतियाबिन्द मेें खतरा बढ़ जाता है।
रोकथाम-
यह एक प्रकार का डीईग्रेन्टीव रोग है। अत: निन्न बातों पर ध्यान दें।
१. उचित खाना-पान, जिसमें विटामिनयुक्त भोजन अवश्य लें जैसे कि हरी सब्जियां, सलाद, फल, दूध एवं इससे बनी चीजें इत्यादि।
२. किसी भी प्रकार का नशा न करें।
३. नियमित शारीरिक व्यायाम, प्राणयाम, रोग आसन इत्यादि करें। प्रात: काल सैर के लिए जाये।
४. कम तनाव का जीवन जीऐ। अच्छी एवं भरपूर नींद लें।

Tuesday 19 April 2016

जो दें आराम भी अंदाज भी

रघुवेंद्र मेल फैशन के संदर्भ में आराम और मूड पर सबसे अधिक जोर देते हैं। आप जो पहनते हैं उसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है, दूसरे के दिमाग में आपके व्यक्तित्व को लेकर क्या खाका खिंचता है, इस बात को भी वह अहम मानते हैं। यहां दिखाए गए परिधान उन्हीं के डिजाइन किए हुए हैं, जो इस मौसम के अनुकूल हैं। मेल फैशन ट्रेंड के संदर्भ में उन्होंने सखी को बताए हैं कुछ उपयोगी टिप्स-
१. पेस्टल शेड जैसे पिंक, ब्ल्यू और व्हाइट कलर की शटर्स अधिक पहनें।
२. स्ट्राइप्स और फ्लोरल प्रिंटस ट्रेंड में हैं और चेक्स अब पसंद नहीं किए जा रहे।
३. कैजुअल लुक देने के लिए कॉलर वाली शर्ट के दोनों तरफ पॉकेट होना जरूरी है।
४. जींस और डेनिम कैजुअल लुक के लिए परफेक्ट हैं।
५. फिटेड ब्ल्यू जींस को अपने कद के हिसाब से फिट कराकर बिना बेल्ट के पहनें तो बेहतर लगेगा।
६. फॉर्मल ट्राउजर्स में लाइट शेड के कॉटन ट्राउजर्स चुनें। पेंसिल शेप वाली ट्राउजर आजकल खूब पसंद की जा रही है।
७. एथनिक वेयर में टू-टोन बंद गले वाली जैकेट के साथ मेल खाता ट्राउजर पहनें। काले रंग की बंद गला जैकेट सदाबहार है जो आपको शाही अंदाज देती है। इसलिए एक जोड़ी ऐसा बंद गले का सेट अपने वॉर्डरोब में जरूर रखें।
८. अगर आप जैकेट पहन रहे हैं तो यह बात जान लें कि थ्री बटन स्टाइल वाला जैकेट हरेक पर फबता है। गर्मी अधिक है तो लिनन जैकेटस का इस्तेमाल करें।
९. अगर आप रंगों में बहुत अधिक प्रयोग करना पसंद नहीं करते तो पहले ऐसे दो-तीन रंग चुनें जो आपको पसंद हैं और बाद में दूसरे रंगों के साथ धीरे-धीरे प्रयोग के लिए कदम बढ़ाएं। ठ्ठ अगर आप ब्राइट कलर्स पहनने के शौकीन हैं तो मिडनाइट ब्ल्यू और मरून रंग के ट्राउजर्स चुनें।

Monday 11 April 2016

मोटे लोग भी दिख सकते है सुंदर

मोटी हैं तो क्या हुआ, स्मार्ट और सुन्दर दिखने में कोई बुराई नहीं। फैशन से दुश्मनी ना करें, टेंरडी ड्रेसेज से मुंह ना मोडे बल्कि फैशनबल बन कर दूसरों को इंप्रेस करें।
मोटी थाइज और हिप्स
जिनकी थाइज मोटी हैं वे महिलाएं हॉल्टरनेक और थोडी डीप नेकलाइन पहनें। लोगों का ध्यान आपकी थाइज से हटेगा। अपनी डे्रसेज में बोट नेक बनवाएं । इससे कंधे चौडे लगते हैं और हिप्स पतले । बूट कटवाली डे्रेसज आप पर सूट करेंगी। हल्के कलर का टॉप और डार्क कलर की ट्राउजर थाइज को पतला दिखाएंगी। फ्लेअर्सवाला लम्बा कोट हैवी हिप्स की महिलाओं के लिए उपयुक्त होगा। यदि आपके हिप्स हैं, तो चौडे कॉलरवाला कोट पहनें।
टमी फैट हो तो
घ्से लोगों को शोल्डर पैड्सवाली ड्रेसेज भी नहीं पहननी चाहिए। बिना पॉकेट की पैंट की पहनें बडी-बडी पॉकेट्स आपकी मोटी कमर और पेट की और लोगों का ध्यान आकर्षित करेंगी। प्रिंट्स घ्से पहनें, जो छोटे हों और जिनका बेस कलर डार्क हो। मोटे पेट को छिपाने के लिए स्ट्रेचेबल जींस ठीक रहती है। जैकेट घ्सी खरीदें, जिसमें कमर पर हल्का कर्व हो या बेल्ट हो। कैप्री और ढीली-ढीली पैंट्स ना पहनें। स्टे्रट ट्राउजर आपके लिए बेस्ट है।
हैवी ब्रेस्ट और आम्र्स
हेवी ब्रेस्टवाली महिलाओं को क्रॉस ओवर स्टाइलवाली टी शट्र्स या पोंचो पहनने चाहिए। यदि आपकी बाजू मोटी हैं, तो बेल शेप्ड स्लीव्स पहनें। इससे आपकी बाजू पर जमा चरबी दिखायी नहीं पडेगी। मेगा या कट स्लीव्स के बजाय कुहनी से थोडी नीचे तक स्लीव्स पहनें।
फुटवेयर का चुनाव ध्यान से करें
फ्लैट फुटवेअर आपको और मोटा दिख सकता है, अतरू थोडी हील्स पहनें। ज्यादा स्टाइलिश सैंडल्स या शूज ना पहनें जैसे हाई हीलवाले स्लिप ऑन जिसमें बैक सपोर्ट या एंकल स्ट्रेप्स ना हों। शॉट स्कट के साथ न्यूड कलर का फुटवेअर पहनने से आप अपनी टांगों को पतला दिखा सकती हैं। पीप टोज और पॉइंटेड हील्स पहनने से भी ना घबराएं। इन्हें पहनने से मोटी टांगें पतली दिखेंगी।
कुछ और बातें
फै ब्रिक सलेक्शन सलेक्शन में ध्यान रखें कि कॉटन कम पहनें। अपने बालेंको ऊंची पोनीटल में बांधें। इससे चेहरा पतला लगेगा। डबल चिनवाली महिलाएं छोटे नेकलेस और चोकर के बजाय लम्बे नेकलेस पहनें। फिटिंग के साथ-साथ आपके कपडों की शेप और कट भी सही होने चाहिए।

स्तनपान के बाद आम ब्रेस्ट की समस्याएं

ऐसा कहा जाता है कि मां और शिशु स्तनपान के दिनों में आपस में एक अनोखा बंधन बांटते हैं। उस समय शिशु अपनी मां की आवाज, गर्माहट और दिल की धड़कनों से समझने लगता है कि उसकी मां उसके पास है। जिस समय मां अपने बच्चे को स्तनपान करवाती है उस समय मां को कई ब्रेस्ट समस्याओं से झूझना पड़ता है, जो कि बहुत ही आम है। आइये इसी के बारे में थोड़ी चर्चा करते हैं।
ब्रेस्ट मिल्क, शिशु के लिये बहुत ही पौष्टिक और स्वास्थ्य वर्धक होता है, लेकिन इससे लगातार दूध पिलाने से मां के स्तन लूज हो जाते हैं और अपना शेप बिगाड़ लेते हैं। प्रसव के बाद शरीर के अंदर बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं। स्तन के ढीले होने के संकेतो में मोटापा, जींस और एजिंग आते हैं। प्रेगनेंसी के बाद शरीर पर मोटापा चढ़ने से भी ब्रेस्ट बहुत भारी और अनशेप लगने लगते हैं। इसके अलावा जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं या फिर कई बच्चों की मां बन चुकी हैं, उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। यहां पर कुछ तरीके दिये जा रहें हैं जिससे आप ब्रेस्ट की समस्या से मुक्ती पा सकती हैं-
१. स्व परीक्षण- शीशे में देख कर या फिर खुद ही छू कर और फील कर के आप यह देख सकती हैं कि कहीं ब्रेस्ट में गांठ, निप्पल डिस्चार्ज या रैश आदि तो नहीं पड़ गए। अगर ऐसा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
२. बीएमआई चेक- लगातार बॉडी मास इंडेक्स चेक करती रहें कि कहीं बेफिजूल आपका वजन तो नहीं बढ़ रहा है, जिससे ब्रेस्ट का शेप बिगड रहा हो।
३. मैमोग्राम- इस विधि से आप जान सकती हैं कि आपके ब्रेस्ट के लूज होने का कारण कहीं ट्यूमर या गांठ जैसी समस्या तो नहीं, जिससे भविष्य में आपको कैंसर हो सकता है।
४. डाइट और व्यायाम- सही डाइट औ एक्सर्साइज के मोटापे की शिकार माताएं अपना वजन नियंत्रित कर सकती हैं। सिंपल व्यायाम जैसे पुश अप और प्लैन डाइट बड़े आराम से की जा सकती है।
५. जैल और क्रीम- डॉक्टर से पूछ कर आप ब्रेस्ट की चर्बी को कम या पिघलाने के लिये क्रीम, तेल या जैल का इस्तमाल कर सकती हैं। इससे ब्रेस्ट की चर्बी खतम हो जाती है और वह शेप में भी आ जाती है।

Friday 8 April 2016

पर्यटकों को करें गाइड, करें अच्छी कमाई

भारत में पर्यटन व्यवसाय में पिछले दो दशकों में भारी उभार आया हैं टूरिस्ट गाइड एक तरफ जहां पर्यटकों का मार्गदर्शन करके उनकी मुश्किलों को आसान करते है, वहीं इसके एवज में अच्छी खासी कमाई भी करते हैं। लिहाजा सेवा के साथ रोजगार का यह एक बेहतर क्षेत्र है।
किसी भी टूरिस्ट गाइड के लिए किसी भी इलाके की ज्यादा से ज्यादा जानकारी ही इसकी सफलता का मूलमंत्र है। इसके अलावा हिंदी और अंग्रेजी के ज्ञान के साथ-साथ उस राज्य की क्षेत्रीय भाषा में भी दक्षता जरूरी है। इसके अतिरिक्त विदेशी भाषाओं जैसे फ्रेंच इटेलियन, जापानी आदि पर भी पकड़ हो तो सोने पे सुहागा साबित हो सकता है। भाषा के अलावा उस राज्य के पर्यटन स्थलों और उसके इतिहास, आने-जाने वाली फ्लाइट, बस सेवा और रेल सेवाओं के समय और दूसरी आवश्यक जानकारी हो तो इस क्षेत्र में उसके लिए अच्छी कमाई के अवसरोें की भरमार होती है।
गाइड बनने के लिए कई संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों में पर्यटन से संबंधित पाठ्यक्रम उपलब्ध है। जिसमें प्रवेश के लिए अलग-अलग मापदण्ड है। पाठ्यक्रम एवं डिप्लोमा कोर्स गाइड बनने के लिए अभ्यर्थी को बारहवीं और स्नातक उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
पाठ्यक्रम एंव डिप्लोमा कोर्स
मास्टर ऑफ टूरिज्म मैनेजमेंट यह स्नात्तोत्तकर पाठ्यक्रम हैं। इनमें प्रवेश हेतु उम्र की सीमा निर्धारित नहीं है। लेकिन किसी भी संकाय में ५० प्रतिशत अंक से पास अभ्यर्थी ही प्रवेश ले सकते है। जबकि दो वर्षीय एमटीए पाठ्यक्रम प्रवेश के लिए भी अभ्यर्थी को ५० प्रतिशत अंक के साथ किसी संकाय में स्नातक होना आवश्यक है। इसके अलावा बेसिक कोर्स ऑन कम्प्यूटर एप्लीकेशन इन टूरिज्म एंड ट्रेवल इंड़स्ट्री भी है। इस डिप्लोमा कार्यक्रम के अंतर्गत पर्यटन के क्षेत्र में कम्प्यूटर की उपयोगिता विषय की संपूर्ण जानकारी दी जाती है।
बेसिक कोर्स ऑन एअर ट्रेवर यह तीन माह का डिप्लोमा कोर्स है। इसके अंतर्गत हवाई यात्रा व्यवस्था एवं बजट से संबंधित जानकारी दी जाती है। सफलता पूर्वक कोर्स करने के बाद अभ्यर्थी को ४००० से लेकर ६००० रुपए तक आरंभिक वेतन की नौकरी मिल जाती है। अनुभव के बाद ८ से १० हजार रुपए या इससे भी ज्यादा वेतन भी प्राप्त कर सकते है। इसके साथ ही विदेश भ्रमण के साथ-साथ विदेशी संस्कृति से भी रूबरू होने के अवसर प्राप्त होता है।
पर्यटन में कॅरियर के लिए अनेक संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों में संचालित कोर्स करके अपना भविष्य संवार सकते है। पाठ्यक्रम कोर्स करने के लिए निम्नलिखित संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है
- भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान, ९ न्याय मार्ग, चाणक्यपुरी नई दिल्ली।
- जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यू महरौली रोड, नई दिल्ली।
- दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस बैनितो जुआरेज मार्ग, नई दिल्ली।
- कोलकाता विश्वविद्यालय, सीनेट हाउस, कालेज स्ट्रीट, कोलकाता।
- जादवपुर विश्वविद्यालय, पीओ जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता।
- मुंबई विश्वविद्यालय, एमजी रोड, फोर्ट, मुंबई।

Tuesday 5 April 2016

दो बूढ़ी औरतें

एक समय की बात है। दो बूढ़ी औरतें एक नदी के दोनों आमने-सामने के किनारों पर रहती थीं। वे दोनों अपनी बदमिजाजी के लिए बदनाम थीं। सूरज निकलने से पहले ही वे अपने-अपने किनारे पर आकर जम जाती थीं। और सूरज छिपने तक झगड़ती रहती थीं। किसी को मालूम नहीं था कि उनके झगड़े का कारण क्या है।

उनमें से एक बुढ़िया की एक पोती थी। अपनी दादी के रोज-रोज के झगड़े से तंग आ कर एक दिन वह अपनी दादी से बोली, 'दादी, नदी किनारे जा कर झगड़ा न किया करो। अगर तुम झगड़ने नहीं जाओ तो वह भी किससे झगड़ेगी?'

बुढ़िया चीखी, 'मैं यह कभी नहीं होने दूंगी कि आखिर बात उसकी रहे।'

लेकिन एक दिन लड़की की दादी बीमार पड़ गई। और बिस्तर से लग गई। दूसरे दिन तड़के ही लड़की ने दूसरी बुढ़िया को किनारे पर चीखते हुए सुना।

लड़की नदी के किनारे जा कर खड़ी हो गयी और देखने लगी कि आज वह क्या करती है।

लड़की को देखकर वह बुढ़िया चीख कर बोली, 'ओ शैतान की लड़की, ठहरी रह। अभी आकर मैं तेरे बाल नोचती हूं।

बुढ़िया नदी के बिछे पत्थरों पर चल तेजी से चल कर इस पार आने लगी। लेकिन बीच नदी तक पहुंचते-पहुंचते एक पत्थर पर से उसका पैर फिसला और वह नदी में जा गिरी।

बुढ़िया के गिरने पर दु:खी हो कर लड़की उसे बचाने के लिए नदी में कूद पड़ी। और जल्दी से तैर कर उसके पास जा पहुंची। उसने उसे खींच कर बाहर निकाला। फिर उसे एक सूखे पत्थर पर बैठा दिया। लड़की ने उस बढ़िया के उलझे बाल भी ठीक से बांध दिये।

बुढ़िया थोड़ी देर शांत रही। फिर अपने को बचाने वाली लड़की की ओर देख कर रोने लगी। और उस लड़की के प्रति किये गये अपने बुरे व्यवहार पर लज्जित भी हुई।

लड़की ने किसी तरह से उसे चुप कराया। उसके बाद बुढ़िया एक शब्द भी नहीं बोली। चुपचाप वापस अपने घर चली गयी। उसने उस दिन के बाद से फिर कभी झगड़ा नहीं किया।

लड़की के अच्छे व्यवहार से झगड़ा हमेशा के लिए खत्म हो गया।